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Thursday, June 1, 2017

माँ

"माँ"
यह शब्द 
काल के पृष्ठ पर 
प्रकृति द्वारा अंकित 
सुंदरतम चित्र है 
जिसके चंद्रबिंदु में
वह तुम्हे ही तो
गोद में लिए बैठी है
जब तुम इसे बुलाते हो
तब यकीं मानों उसी वक्त
सात स्वरों केअकाट्य नियम 

टूटते हैं
और ढहता है 

लय का साम्राज्य
माँ तुम्हारा स्मरण
केवल स्मरण नहीं
एक ऐसा संबल है जिसका साथ
पृथ्वी को रस से और 

जीवन को नियमों के पार की भाषा
बतलाता है
तुम्हारे हाथ मेरे सर पर
अनंत मौन सा आँचल
उढ़ा कर मुझे नींद की लोरी
सुनाता है ।
(अप्रमेय)

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