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Thursday, June 1, 2017

आदमी और बच्चा

बादल गरजते हैं 
बच्चा डरता है 
माँ समझाती है 
भगवान् ने डांट लगाई होगी
बच्चा अर्थ ग्रहण करता है 
बादल की घटाओं से दूर
अपने सदृश्य किसी
भगवान् के बच्चे की,
कल स्कूल जाना होगा
सुबह-सुबह
बदल हट गएँ होंगे
स्कूल की बिल्डिंग
चाक-चौबंद
यह नहीं बताती
कि उसे किसने बनवाया
भगवान् भी नहीं करते दावा
और मालिक को मालूम है
कि किसके सामने मिल्कियत
का करना है दावा ,
बच्चा स्कूल में
अपने जैसे प्यारे-प्यारे
दोस्तों के साथ
समय धीरे-धीरे गुजारेगा
और एक समय बाद
बज उठेगी छुट्टी की घंटी
एक अदृश्य रस्सी भगवान् सी
खुल जाएगी उन सभी के गले से
सभी चहक के शोर मचाएंगे
और अपना बस्ता लादे
अपने घर को भाग जाएंगे ।
(अप्रमेय)

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