Powered By Blogger

Thursday, June 1, 2017

होली

उन्हें दिखाई दिया कि 
होली उनके बाप का त्योहार नहीं,
वे कहते हैं कोई था मनु 
जिसने होली को भी 
लोक से छीन कर अभिजात्य का पर्व घोषित कर दिया,
वे कहते थे और कहते-कहते
हमें और तुम्हे अलग कर गए ,
पर तुम कहते हो
अलग होने के बाद !
समझ में नहीं आता ।
तुम मनु नहीं
और बुद्ध भी नहीं
तुम्हें तो मालूम ही है
इस छद्म दीवार का रहस्य
जिस पर जाति के रंग-बिरंगे
विचार चस्पा हैं,
आओ होली मनाएं
और उन्हें बताएं
कि खोपड़ी के अंदर का यह रंग
बहुत पुराना है
और आदमी के चहरे को
रंग कर हमें सभी के बाप को
भुलाना है
(अप्रमेय)

No comments:

Post a Comment