मैंने अपने आप को हटा लिया
और कमरा भर गया हवाओं से
कोयल की गूंज, आसमां की शांति
और धरती की नमी
धीरे-धीरे मेरे कमरे के सोफे पर बैठते
हुए अपने पैर पसार लिए मेज पर
कोई चींटी उनके पांवों तले रौदी नहीं गई
सन्नटा मेरे न होने का
भर रहा था अर्थ
हर खाली पड़े बर्तनों में
घर के पिछवाड़े हरिश्रृंगार की छांव तले
जाने कहाँ से सूर्य एक चम्मच धूप लिए
कोई संदेशा ले आया,
मेरा न होना
मेरे होने के अस्तित्व से गहरा है
ये जान कर मैंने मन ही मन
मृत्यु को गले लगाया।
(अप्रमेय)
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