सम्बन्धों से जीवन और राजनीति से संसद चलती है, मैंने एक नन्हे बच्चे को चलते देखा चलते हुए लड़खड़ाते उसे गिरते फिर उठते देखा, मैंने इस बच्चे के बहाने जीवन के परे और संसद के बाहर ईश्वर को देखा। (अप्रमेय)