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Thursday, February 19, 2015

समझो अभी कि ढल जाएगी रात
ये पर्दा हटाओ कि थम जाएगी बात
उनकी फ़िकरों पे इतना न फ़िक्रमंद होना
आओ तलाशे कि असल है क्या बात, 
कोई किसी पर इतना ज़ोर डाल नहीं सकता कि
हाथ थामो मेरा फिर देखो हर तरफ कैसे फैलेगी आग।

अप्रमेय

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