देखो इसे गौर से देखो
कोई ख़ून का कतरा
या कहीं पसीने की कोई बूंद भी
टपकी क्या ?
देखो और पहचानो
यह कौन है
औरत है ?
माँ है ?
माशूका भी नही ?
देखो उसकी छाती
कोई मांस का गोला हिला क्या ?
देखो उन्हें भी गौर से देखो
कोई बच्चा ?
कोई बेटा ?
कोई शरारत उठी क्या ?
देखो शब्दों से अलग
किताबों से जुदा
आग को
जो कभी बुझ गयी थी
तुम्हारे अन्दर
वह जली क्या ?
कोई ख़ून का कतरा
या कहीं पसीने की कोई बूंद भी
टपकी क्या ?
देखो और पहचानो
यह कौन है
औरत है ?
माँ है ?
माशूका भी नही ?
देखो उसकी छाती
कोई मांस का गोला हिला क्या ?
देखो उन्हें भी गौर से देखो
कोई बच्चा ?
कोई बेटा ?
कोई शरारत उठी क्या ?
देखो शब्दों से अलग
किताबों से जुदा
आग को
जो कभी बुझ गयी थी
तुम्हारे अन्दर
वह जली क्या ?
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