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Wednesday, June 10, 2015

कुछ फुटकर शेर

1-  सीयसतें मशगूल थी जब इल्म के कहकहों में 
      कोई भूखा रात आवाज़ दे दे कर सो गय ।।

2-   तमतमाते चहरे गर्म साँसे टपकते ख़ून आँखों से
       वह सहम गया देखो होठों से आवाज नहीं आती ।।     


3   कोई भी बात अब नई नहीं होती                 
     जिंदगी फिर बयां क्यों नहीं होती ।।
(अप्रमेय)










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