1- सीयसतें मशगूल थी जब इल्म के कहकहों में
कोई भूखा रात आवाज़ दे दे कर सो गय ।।
2- तमतमाते चहरे गर्म साँसे टपकते ख़ून आँखों से
वह सहम गया देखो होठों से आवाज नहीं आती ।।
3 कोई भी बात अब नई नहीं होती
जिंदगी फिर बयां क्यों नहीं होती ।।
(अप्रमेय)
कोई भूखा रात आवाज़ दे दे कर सो गय ।।
2- तमतमाते चहरे गर्म साँसे टपकते ख़ून आँखों से
वह सहम गया देखो होठों से आवाज नहीं आती ।।
3 कोई भी बात अब नई नहीं होती
जिंदगी फिर बयां क्यों नहीं होती ।।
(अप्रमेय)
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