कोई शब्द
कुछ रंग
एक बात
जिसे कह न सका कभी
वह मैंने कहा
रात के अंधरे में
पूछा अगली रात
कि जोड़ो कुछ सिलसिला
वह चुप था
उसी तरह
जैसे उसने सुना था
उसी तरह जैसे मैं उसे
सुनाने को आतुर था ।।
(अप्रमेय)
कुछ रंग
एक बात
जिसे कह न सका कभी
वह मैंने कहा
रात के अंधरे में
पूछा अगली रात
कि जोड़ो कुछ सिलसिला
वह चुप था
उसी तरह
जैसे उसने सुना था
उसी तरह जैसे मैं उसे
सुनाने को आतुर था ।।
(अप्रमेय)
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