मेरे लिए लिखना
न जानते हुए उसे
भूल जाना है
मेरे लिए भूल जाना
उस गुमनाम के सामने
प्रार्थना है और
आँख न मिला पाना
वेदना है
शब्दों में
फूल सा
कि
सुगंध सा
कि
आह सा...!
(अप्रमेय)
न जानते हुए उसे
भूल जाना है
मेरे लिए भूल जाना
उस गुमनाम के सामने
प्रार्थना है और
आँख न मिला पाना
वेदना है
शब्दों में
फूल सा
कि
सुगंध सा
कि
आह सा...!
(अप्रमेय)
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