ये सफ़र असां नहीं इतना भर जान लीजिए
रुक रुक के चलना और कहीं चल के रुक जाना
आँखों में उनके देखता हूँ सुकूं मिल जाता है
है दर्द दबा जो इधर छिपा उधर मिल जाता है
(अप्रमेय)
रुक रुक के चलना और कहीं चल के रुक जाना
आँखों में उनके देखता हूँ सुकूं मिल जाता है
है दर्द दबा जो इधर छिपा उधर मिल जाता है
(अप्रमेय)
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