मैंने अपने लिए
जिंदगी के पेड़ पर
भविष्य के घोंसले में
डाल रखी है
विचारों की घास
ऋतुओं की गर्माहट उसे सेकेगी
आदमी जैसे कौवे के झुण्ड से अगर
बच गया मेरे सपने का अंडा
एक ऊपरी कवच टूटेगी ।
नस्ल तो पता नहीं
कोई पंछी उसमें से निकलेगा
अपने पंख में आकाश को भरे
जीवन का गीत सुन पाएगा |
(अप्रमेय)
जिंदगी के पेड़ पर
भविष्य के घोंसले में
डाल रखी है
विचारों की घास
ऋतुओं की गर्माहट उसे सेकेगी
आदमी जैसे कौवे के झुण्ड से अगर
बच गया मेरे सपने का अंडा
एक ऊपरी कवच टूटेगी ।
नस्ल तो पता नहीं
कोई पंछी उसमें से निकलेगा
अपने पंख में आकाश को भरे
जीवन का गीत सुन पाएगा |
(अप्रमेय)