राख और आग की नस्ल एक है
तुम्हारे हाथ क्या लगा सवाल इसका है
जिन्हों ने उड़ाई राख वे भी
और जिन्हों ने लगाई आग वे भी
दोनों ही आदमी थे
किस्सा यह है कि
जिसके ऊपर पड़ी राख
वह अघोरी हो गया और
जिसके ऊपर पड़ी आग वह
वियोगी हो गया
जिंदगी की पाठशाला में
एक आग जलती रही
सदियों से पेट के अंदर और
एक आग जलती रही चौके के अंदर
एक आग पता नहीं कहां से
बैठ गई शब्द के अंदर
लोग बिना जले जलते रहें
उसमें न कोई आग थी
न कोई राख।
(अप्रमेय
तुम्हारे हाथ क्या लगा सवाल इसका है
जिन्हों ने उड़ाई राख वे भी
और जिन्हों ने लगाई आग वे भी
दोनों ही आदमी थे
किस्सा यह है कि
जिसके ऊपर पड़ी राख
वह अघोरी हो गया और
जिसके ऊपर पड़ी आग वह
वियोगी हो गया
जिंदगी की पाठशाला में
एक आग जलती रही
सदियों से पेट के अंदर और
एक आग जलती रही चौके के अंदर
एक आग पता नहीं कहां से
बैठ गई शब्द के अंदर
लोग बिना जले जलते रहें
उसमें न कोई आग थी
न कोई राख।
(अप्रमेय
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