Powered By Blogger

Monday, April 23, 2018

गिरिजा देवी की याद में

कुछ कह दूं ऐसा मन कहता है
पर कौन इसे सुनता है,

लिखना-पढ़ना सब वाहियात सा हो जाता है
जब प्यार से हमें कोई देख जाता है,

कभी न काम आई ये मैंने आजमा के देखा है
दुनिया ने जिसे जद्दो-जहद से खरीदा है,


ईश्वर है या नहीं कौन इसे ढूंढता है
पर मैंने उसे बाजार में बिकते हुए देखा है,


किस्सा कोताह शायरी सब कुछ एक बहाना है
आदमी को एक दिन बिना कुछ कहे चले जाना है।
(अप्रमेय)

No comments:

Post a Comment