बहुत दिन हुए
कुछ लिखा नहीं
असल में कुछ लिखना
लिखना नहीं, तुम्हें
याद करना होता है
याद करते हुए तुम्हें लिखना
तुम्हारे साथ न होने को
भूल जाना है
भूल जाना मनुष्यता के लिए
वरदान है
ईश्वर ने इसे सबसे पहले
अपने ऊपर आजमाया
हमें भूल कर
अपनी सर्वज्ञता का
आभास दिलाया।
(अप्रमेय)
Saturday, May 18, 2019
बहुत दिन हुए
Saturday, May 11, 2019
आदमी
उसने सलीके से लगायाअपना मेज
एक किनारे कलमदान और
एक किनारे कुछ चित्र,
शब्द नहीं हैं वहां उसकी दुनिया में
अन्तस् में कुछ शब्द जैसे चूहा,खरगोश
बिल्ली और शेर सम्हाले
वह बड़ा हो रहा है
धीरे धीरे घेर लेंगे उसे शब्द
और मेज पर फिर वह निहारेगा मानचित्र
जानेगा लोकतंत्र, नीति और धर्म
बच्चा फिर बड़ा हो जाएगा
और कभी नहीं हो सकेगा
वह आदमी।
(अप्रमेय)
Saturday, May 4, 2019
मैं तुम्हें याद करता हूँ
लिखे शब्द
वस्तु नहीं
रूप नहीं
रंग नहीं
ध्वनि भी नहीं
फिर भी स्मृति के सहारे
ध्वनि के रंग से
रूप और वस्तु
हो जाते हैं,
इसी तरह
मैं तुम्हे याद करता हूँ
और तुम्हारे साथ होते हुए
तुम सा हो जाता हूँ।
(अप्रमेय)
Subscribe to:
Posts (Atom)