लिखे शब्द वस्तु नहीं रूप नहीं रंग नहीं ध्वनि भी नहीं फिर भी स्मृति के सहारे ध्वनि के रंग से रूप और वस्तु हो जाते हैं, इसी तरह मैं तुम्हे याद करता हूँ और तुम्हारे साथ होते हुए तुम सा हो जाता हूँ। (अप्रमेय)
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