तुम अभी एक गिलहरी सी
पेड़ों से उतर आई
मैंने लोक की
उस कथा को याद करते हुए प्रणाम किया
पुल निर्माण में तुमनें
राम का जो साथ दिया
शिव का त्रिपुंड कैसे जीवित हो उठा
राम की अंगुलियों के सहारे
पीठ पर तुम्हारे,
मैंने राम के सहारे सीता को
और सीता के सहारे
फिर तुम्हें याद किया।
(अप्रमेय)
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