१
वह भी था जरुरी
यह भी है जरुरी
कभी था जो दर्द-दर्द बन के
आज है धुआं-धुआं
चेहरा अब यह किसका-किसका ?
आँखों में है बसा-बसा।
२
कल भी और आज
उम्मीद और इंतजार
बैठे-बैठे नींद
यह- आदत
अब पुरानी हो गयी।
३
एक छोटी सी जिंदगी
जिसमें आदमी
समेटता है
अतीत
बोता है
बीज
मुझे अक्सर
अब जिंदगी से घबराहट होती है।
४
कल बोला उसने
जो कुछ भी अब
गौरतलब है
मरम्मत-तलब है।
५
जो नहीं लिख सका
केवल वही कविता
तुम्हारे लिए थी।
(अप्रमेय )
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