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Saturday, June 28, 2014

वह जब आए...

काश मेरी समझ की नासमझी और बढ़ जाए 
तेरे यकीन पर एतराज के बादल भी छा जाए,
फिर जो कड़केगी बिजली उसको देखेंगे 
फिर जो उतरेगी बारिश उसको समझेंगे,
जो कुछ भी हो, मेरी समझ-नसमझ से न आए 
वह जब आए...आए और.... छा जाए....

(अप्रमेय)

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