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Tuesday, September 9, 2014

रात हुई

अब चलो सो जाओ कि रात हुई
क्यों न रूबरू हो जाओ कि रात हुई
इतनी शिद्दतों के बाद मिले भी कि रात हुई
रात हुई की सी मुलाक़ात कि फिर रात हुई

(अप्रमेय )

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