सोहम बानी
Sunday, May 31, 2015
आत्मा
जहाँ-जहाँ
मेरी कविताओं ने
लय पकड़ा है
समझना वहीं-वहीं
मैंने अपनी आत्मा का
गला घोटा है ।
( धूमिल की तर्ज पर )
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