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Saturday, January 23, 2016

वह जो

मैं कुछ लिख दूँ
क्या !
मालूम नहीं 
लो
आ गया ख्याल 
फूल का
कि वह तो मुरझा गया होगा
किताब में रखा हुआ ।
(अप्रमेय)

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