घाट के तट पर
बांस का खूंटा
कब तक तुम्हे
रोक पाएगा बंधु
एक दिन न सही
दूसरे दिन वर्षा जल
घेरेगी उसे चारों तरफ़
कब तक रह पाएगी
जमीन सख़्त उसके
चारों तरफ़,
खूंटा है वहां
तो बंधेगी ही कोई
और नांव तुम्हारी तरह
फिर गरजेगा बादल
फिर बरसेगा बादल
आएगा तूफ़ान
और तुम्हारी नांव को
आखिर एक दिन
बहा ही ले जाएगा ।
(अप्रमेय)
बांस का खूंटा
कब तक तुम्हे
रोक पाएगा बंधु
एक दिन न सही
दूसरे दिन वर्षा जल
घेरेगी उसे चारों तरफ़
कब तक रह पाएगी
जमीन सख़्त उसके
चारों तरफ़,
खूंटा है वहां
तो बंधेगी ही कोई
और नांव तुम्हारी तरह
फिर गरजेगा बादल
फिर बरसेगा बादल
आएगा तूफ़ान
और तुम्हारी नांव को
आखिर एक दिन
बहा ही ले जाएगा ।
(अप्रमेय)
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