Powered By Blogger

Thursday, June 1, 2017

किस्मत

लकड़ी जल गई
क्योंकि वह सूखी थी
लाश जल गई
क्योंकि उसमें चर्बी थी,
जिंदा रहना रोग हुआ
मौत उसके बरक्स औषधि थी,
आँख है तो उठ गई
देख कर झुख पाई
यह उसकी फितरत थी,
हमको मिली जिंदगी 

या चाहे जो कुछ भी
कुछ हाथ में रही 

कुछ फिसल गई  
यह किस्मत थी ।
(अप्रमेय)

No comments:

Post a Comment