लकड़ी जल गई
क्योंकि वह सूखी थी
लाश जल गई
क्योंकि उसमें चर्बी थी,
जिंदा रहना रोग हुआ
मौत उसके बरक्स औषधि थी,
आँख है तो उठ गई
देख कर झुख पाई
यह उसकी फितरत थी,
हमको मिली जिंदगी
या चाहे जो कुछ भी
कुछ हाथ में रही
कुछ फिसल गई
यह किस्मत थी ।
(अप्रमेय)
क्योंकि वह सूखी थी
लाश जल गई
क्योंकि उसमें चर्बी थी,
जिंदा रहना रोग हुआ
मौत उसके बरक्स औषधि थी,
आँख है तो उठ गई
देख कर झुख पाई
यह उसकी फितरत थी,
हमको मिली जिंदगी
या चाहे जो कुछ भी
कुछ हाथ में रही
कुछ फिसल गई
यह किस्मत थी ।
(अप्रमेय)
No comments:
Post a Comment