एक शाश्वत अकेलेपन
का विस्तार है आदमी
अपनी चुप्पी के बरक्स
अपनी हत्या के लिए
हथियार है आदमी
सदियों से अपने ही हमशक्ल
को देखते-देखते परीशां है आदमी ।
(अप्रमेय)
का विस्तार है आदमी
अपनी चुप्पी के बरक्स
अपनी हत्या के लिए
हथियार है आदमी
सदियों से अपने ही हमशक्ल
को देखते-देखते परीशां है आदमी ।
(अप्रमेय)
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