चुप हो जाना
सिर्फ उनके लिए ही नहीं
अपने लिए भी कभी-कभी
कुछ सोचने से इनकार करना है
कुछ सोचने से
कुछ कहने की यात्रा
दूसरों के लिए जुबान
हिलाने भर से है पर
मेरे लिए जुबान हिलाने से
चुप हो जाने की व्यथा
एक कथा है
जिसके पन्ने सुनहरे जिल्द में
जब्त होते जाते हैं
और उस जिल्द के ऊपर लिखा है
'ईश्वर ने कहा'
(अप्रमेय )
सिर्फ उनके लिए ही नहीं
अपने लिए भी कभी-कभी
कुछ सोचने से इनकार करना है
कुछ सोचने से
कुछ कहने की यात्रा
दूसरों के लिए जुबान
हिलाने भर से है पर
मेरे लिए जुबान हिलाने से
चुप हो जाने की व्यथा
एक कथा है
जिसके पन्ने सुनहरे जिल्द में
जब्त होते जाते हैं
और उस जिल्द के ऊपर लिखा है
'ईश्वर ने कहा'
(अप्रमेय )
No comments:
Post a Comment