पिंजरा भर आकाश
और ताले भर का प्यार
कहाँ रोक सका है
चिड़ियों को,
गिनी-चुनी गिनतियाँ
और ढेले भर के शास्त्र
की हकीकत
कौन नहीं जानता ?
एक कुत्ता जब चिल्लाता है
और एक बकरी जब
काटी जा रही होती है
तब कौन है
जो तड़प नही जाता है
काम, जाति और स्वाद के तुम
तर्क कितने भी क्यों न गढ़ लो
मृत्यु का सत्य
और प्रेम का अर्थ
या तो तुमने भुला दिया है
या स्थगित कर रखा है
फिर कभी जान लेने के लिए ।
(अप्रमेय)
और ताले भर का प्यार
कहाँ रोक सका है
चिड़ियों को,
गिनी-चुनी गिनतियाँ
और ढेले भर के शास्त्र
की हकीकत
कौन नहीं जानता ?
एक कुत्ता जब चिल्लाता है
और एक बकरी जब
काटी जा रही होती है
तब कौन है
जो तड़प नही जाता है
काम, जाति और स्वाद के तुम
तर्क कितने भी क्यों न गढ़ लो
मृत्यु का सत्य
और प्रेम का अर्थ
या तो तुमने भुला दिया है
या स्थगित कर रखा है
फिर कभी जान लेने के लिए ।
(अप्रमेय)
No comments:
Post a Comment