वहीं से उठती है कविता
जहां से दूब उग आती है
वहीं से निकलता है गान
जहां से हवा सरसराती है
वहीं से उड़ती है चिड़िया
जहां से सपने फैल जाते हैं
वहीं से हम होते हैं विदा
जहां से लोग अपने हो जाते हैं ।
(अप्रमेय)
जहां से दूब उग आती है
वहीं से निकलता है गान
जहां से हवा सरसराती है
वहीं से उड़ती है चिड़िया
जहां से सपने फैल जाते हैं
वहीं से हम होते हैं विदा
जहां से लोग अपने हो जाते हैं ।
(अप्रमेय)
No comments:
Post a Comment