शाम ढल रही है
और रात गहराने के पहले
इस क्षण की स्मृति मेरे
हृदय के जाने किस जेब में
जगह बनाएगी
मुझे यकीं है ये भी
शाम के किसी ऐसे ही क्षण में
एक अंजान की तरह
सामने आएगी!
(अप्रमेय)
और रात गहराने के पहले
इस क्षण की स्मृति मेरे
हृदय के जाने किस जेब में
जगह बनाएगी
मुझे यकीं है ये भी
शाम के किसी ऐसे ही क्षण में
एक अंजान की तरह
सामने आएगी!
(अप्रमेय)
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