किताबों में शब्द के अर्थ नहीं होते
जबतक कि उन्हें पढ़ा न जाए,
जबतक कि उन्हें पढ़ा न जाए,
कैनवास पर चिड़िया उड़ नहीं सकती
जबतक कि उन्हें देखने वाला न मिल जाए,
जबतक कि उन्हें देखने वाला न मिल जाए,
तबले पड़े रह जायेंगे
महाप्रलय तक बिना कुछ कहे
जबतक कि उसपर कोई
हाथ फेरने वाला न मिल जाए पर,
महाप्रलय तक बिना कुछ कहे
जबतक कि उसपर कोई
हाथ फेरने वाला न मिल जाए पर,
मनुष्य एक ऐसा यंत्र है
जिसपर अनंत का सन्नाटा
अर्थ के जाल बुनता है,
जिसपर अनंत का सन्नाटा
अर्थ के जाल बुनता है,
कुछ विशेष भार को जाल
संभाल नहीं सकता और
जो हल्के-फुल्के कीड़े-मकौड़े हैं
वे उसमें अटक कर
अपना अर्थ गँवा देते हैं |
(अप्रमेय)
संभाल नहीं सकता और
जो हल्के-फुल्के कीड़े-मकौड़े हैं
वे उसमें अटक कर
अपना अर्थ गँवा देते हैं |
(अप्रमेय)
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