सत्य सब जानते हैं और
झूठ वे बिल्कुल नहीं समझते
जिसे वे नहीं जानते-समझते
उसी के आस-पास वे रहना चाहते हैं
वे जो कुछ भी करते हैं उसे देखकर
सभी को ऐसा लगता है
ये तो मेरा सत्य था
जिसकी लौ ने उसे जला डाला।
(अप्रमेय)
झूठ वे बिल्कुल नहीं समझते
जिसे वे नहीं जानते-समझते
उसी के आस-पास वे रहना चाहते हैं
वे जो कुछ भी करते हैं उसे देखकर
सभी को ऐसा लगता है
ये तो मेरा सत्य था
जिसकी लौ ने उसे जला डाला।
(अप्रमेय)
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