एक अंग्रेजी माध्यम से
पढ़ रहा बच्चा मुझसे पूछता है
चौरासी किसे कहते हैं अंकल,
मैं उसे बताता हूँ और अचानक
चुप हो जाता हूँ,
धीरे से इतिहास अपना
पीछे का किवाड़ खोलता है
और चौरासी के दंगों में मुझे शामिल कर
मेरे छाती पर ख़ंजर भोंक देता है,
पुनर्जन्म लेकर पुनः
मैं पाठशाला में पहाड़ा पढ़ते हुए
जोर जोर से दोहराता हूँ
"बारह सत्ते चौरासी"
और अपनी उम्र से चौरासी को
घटा रहा होता हूँ,
मुझे नहीं मालूम चौरासी के हो रहे
बुड्ढों का हाल पर
आने वाली सदी में
बुड्ढे बहुत ज्यादा होंगे
और दुख भी उससे ज्यादा होगा,
निन्यानबे के चक्कर से
चौरासी का खेल बड़ा अबूझ है
जिसपर एक उपनिषद
लिखा जाना अभी बाकी है।
(अप्रमेय)
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