एक सादे पन्ने पर
मौलवी लिखता है अल्लाह
पंडित लिखता है भगवान
चित्रकार बनाता है चित्र
गवैये स्वर के पलटे और
बनिया लिखता है हिसाब,
एक बच्चा सादे पन्ने को
उठाता है अपने हाथ
मिचोड़ कर उसे
बनाता है गेंद
और उसे आकाश में उछाल कर
जोर जोर से हंसते-खिलखिलाते हुए
पूरी पृथ्वी को अपनी गूंज से
भर देता है।
(अप्रमेय)
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