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Monday, March 2, 2020

कविता

पुकार
यहां हूँ और
चुप्पी,
ये तीन शब्द
महाकव्य हैं
मेरे लिए
क्योंकि
बचपन पुकारने में
जवानी बताने में
और चुप्पी
अब जीवन की
अंतिम कहानी
होती जा रही है।
(अप्रमेय)

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