पुकार यहां हूँ और चुप्पी, ये तीन शब्द महाकव्य हैं मेरे लिए क्योंकि बचपन पुकारने में जवानी बताने में और चुप्पी अब जीवन की अंतिम कहानी होती जा रही है। (अप्रमेय)
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