होली में दीप नहीं जलाए जाते
रंगोली भी नहीं बनाई जाती
कोई जब निकलता है होली के दिन
होली खेलने
तब कोई बहन रक्षा सूत्र नहीं बांधती
भाई के कलाई पर,
अभी जो कुछ आप ने सुना
वह कविता नहीं है
सवाल था बहुत पहले
जो बचपन में मैंने
अपने पिता से पूछे थे,
उन्हों ने होली के दिन
मुझे मां के पास भेज दिया था
इन्हीं प्रश्नों के साथ
मेरी माँ ने मुझे
होली की शाम बुकवा लगाने के बाद
कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था,
मंदिर में रोली से रंगोली बनाई
और दीप जला कर
आंखों में काजल लगाते कहा था
किसने कहा कि होली में
यह सब नहीं किया जा सकता।
(अप्रमेय)
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