होली आने को है
और
मैं उस जगह कुछ दिनों से
रह रहा हूँ जहां
होली को अब भी अंग्रेज़ी कैलेंडर से नहीं
पलाश के खिलने से जाना जाता है,
मैंने सुना है फूलों से रंग बनाने की बात
आप ने भी जाना होगा
किसी के चेहरे के रंग से
उसके हृदय की बात,
होली आने को है इसलिए
कुछ और नहीं
केवल इतना भर कहूंगा कि
प्रेम जगत की एक अनिवार्य होली है
जिसका समय तय नहीं किया जा सका है
वह जब घटती है
आंखों में जल और चेहरे पर अनगिनत
भावों के रंग लगा जाती है
कोई बच नहीं सकेगा इस होली से
क्योंकि पलाश खिलते रहेंगे
रंग बनते रहेंगे और अगर
जीवन बचा रहा
मेरे जैसे कई दीवाने
होली खेलते रहेंगे।
(अप्रमेय)
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