रुक जाओ अभी
बहुत गहमा गहमी है
जिंदगी पड़ी है यारों
इतनी भी क्या जल्दी है,
चीखते फिर रहे हैं जो
उनकी हरकतों को देखो
नाजायज़ की औलादे हैं
इनको बहुत जल्दी है,
मुहब्बत हो सके तो कर
इससे बड़ी इबादत कहाँ
सियासत तो केवल
लोफरों की लामबंदी है।
(अप्रमेय)
No comments:
Post a Comment