शहर में आता है सन्यासी
आता है 'साधू'
आता है मदारी,मजदूर
रिक्शावान
शहर में वे बसते हैं
जो जानते हैं -पहचानते हैं
सन्यासी का रूप
'साधू' का कमण्डलु
मदारी का डमरू
और मजदूर की कुदाल
गांव के लोग केवल एक ही
बात जानते हैं प्रारब्ध
सन्यासी हो तो
साधू हो, मदारी हो, रिक्शावान हो
या हो किसान तो
लौट आओ कि
घर सोने से ज्यादा
मर जाने के लिए
सबसे मुफ़ीद जगह है।
(अप्रमेय)
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