जाने कहाँ से
किस गाड़ी का
लगा था नंबर प्लेट
बैरिंग के पास
टंगा हुआ,
उसका रिक्शा भारत के
रंग-बिरंगे नक़्शे जैसा
चस्पा था फुटपाथ के उपर,
गाँव से शहर आई
उन औरतों की लिपस्टिक जैसा
लाल गद्दी सी सीट
तैयार थी उस दिन खड़ी
धकियाने के लिए
शहर की भीड़,
पहियों पर झालर लटके
नयी दुल्हन की नथुनी की तरह
हुड सा घूघट चढ़ाए
उर्दू के सारे अदब को
वह खड़ा पेश कर रहा था,
दोनों हैंडिलों के बीच डोलची में
रेडियो बजते-सुनते
वह पड़ा था
रिक्शे के उपर
भारत के संतों के
पेट की तरह पसरा
मुझे जाना ही पड़ा उसके पास
पर मैं उसे जगा न सका
वह शांत पड़ा था
भगत सिंह की तरह
सूली सा
अपने रिक्शे पर लटका।
( अप्रमेय )
किस गाड़ी का
लगा था नंबर प्लेट
बैरिंग के पास
टंगा हुआ,
उसका रिक्शा भारत के
रंग-बिरंगे नक़्शे जैसा
चस्पा था फुटपाथ के उपर,
गाँव से शहर आई
उन औरतों की लिपस्टिक जैसा
लाल गद्दी सी सीट
तैयार थी उस दिन खड़ी
धकियाने के लिए
शहर की भीड़,
पहियों पर झालर लटके
नयी दुल्हन की नथुनी की तरह
हुड सा घूघट चढ़ाए
उर्दू के सारे अदब को
वह खड़ा पेश कर रहा था,
दोनों हैंडिलों के बीच डोलची में
रेडियो बजते-सुनते
वह पड़ा था
रिक्शे के उपर
भारत के संतों के
पेट की तरह पसरा
मुझे जाना ही पड़ा उसके पास
पर मैं उसे जगा न सका
वह शांत पड़ा था
भगत सिंह की तरह
सूली सा
अपने रिक्शे पर लटका।
( अप्रमेय )
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