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Monday, October 28, 2013

परमात्मा स्टेशन की तरह है

परमात्मा स्टेशन की तरह है 
विशेष अर्थों में 
वियोग के साथ, 
घट जाने में आलोकित 
आप के बगल 
स्थिर ट्रेन के रेंगने से
अपनी ट्रेन को घिसकते
महसूसना,
खड़ा स्टेशन ही
पकड़ता है आप को
या रोकता है
लाल बत्ती की तरह,
स्मृति और निरंतर
के बीच
हर जगह
हर मोड़
स्टालो पर लटका हुआ
कहीं जाने के पहले
सीटी बजाता हुआ
वह पसरा है
हर जगह,
हमें ट्रेन में
नहीं फुलाना है तकिया
उसके हाथ पर ही
सर रख कर
सो जाना है


(अप्रमेय)




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