तुम आना नए वर्ष
कुछ इस तरह
जैसे गाँव से अनाज लादे
बाबा चले आते हैं
कूवों पे कुछ फूल
यूँही निकल जाते हैं
जैसे नए चश्मे पर
माई के हाथ उसे पोछते
कम्बल से धीरे-धीरे
बाहर निकल आतें हैं ,
आना तुम कुछ तरह
जैसे दुल्हन के धीरे-धीरे
घूँघट उतर जाते हैं
बच्चों के धीरे-धीरे
दाँत निकल आतें हैं
आना कुछ इस तरह
जैसे धीरे-धीरे फल
पक के मीठे हो जाते हैं।
( अप्रमेय )
आप सभी को नए वर्ष की मंगल कामना
३१/१२/१३
कुछ इस तरह
जैसे गाँव से अनाज लादे
बाबा चले आते हैं
कूवों पे कुछ फूल
यूँही निकल जाते हैं
जैसे नए चश्मे पर
माई के हाथ उसे पोछते
कम्बल से धीरे-धीरे
बाहर निकल आतें हैं ,
आना तुम कुछ तरह
जैसे दुल्हन के धीरे-धीरे
घूँघट उतर जाते हैं
बच्चों के धीरे-धीरे
दाँत निकल आतें हैं
आना कुछ इस तरह
जैसे धीरे-धीरे फल
पक के मीठे हो जाते हैं।
( अप्रमेय )
आप सभी को नए वर्ष की मंगल कामना
३१/१२/१३
No comments:
Post a Comment