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Wednesday, January 8, 2014

मेरा शहर :

मेरा शहर उदास दिखता है
जब मैं वहाँ नहीं रहता
वहाँ तब कोई नहीं जोड़ता
रास्ते पर थूके
पान की पीक का
लहू से गहरा सम्बन्ध ,
कोई नहीं दिखाता
आकाश से शहर में
उड़ाई हुई
ठहाकों और लफ्फाजों
की नयी क्रांति ,
जब मैं वहाँ नहीं रहता
उसे कोई बताता नहीं कि
शहर के रंगमंच पर
कोढ़ियों का रूप धरते
विज्ञान की लढ़िया को धकेलते
करम कर बाबू ऐ भइया .......
वही पुराना गीत गाते और
कितने घट गए भिखारी ,
जब मैं वहाँ नहीं रहता
तो उसे कोई नहीं समझाता
चौराहों के शक्ल में बदलती
और घटती वह गुमटियां
मेरा शहर उदास है
क्योंकि अब उसके
आँगन में नहीं फुदकती
गौरइया-चिड़िया

(अप्रमेय )

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