यकीन मानिये
चिड़ियों की उड़ान में
मैंने देखा है उन्हें
वर्तुलाकार पद्धति से
रिक्तता को पूरा करते हुए,
गाय के चारा चबाने में
मैंने देखा है
एक वृत्त को बनते हुए ,
कुत्ता जब मुँह खोलता है
मैंने देखा है
उसके मुँह के अंदर
त्रिकोण का बिम्ब बनाते हुए,
हिरण दौड़ते नहीं
प्रश्नवाचक चिन्ह बनाते हैं
चीटियां रेंगती जो
नजर आतीं हैं दरअसल
वह अदृश्य शब्दों के ऊपर
लकीर खींचती जाती हैं,
यकीन मानिये
दिन का उजाला
जो हमें दीखता है
वह सादा पन्ना है
और रात उस पर
लिखी हुई गाढ़ी स्याही।
(अप्रमेय )
चिड़ियों की उड़ान में
मैंने देखा है उन्हें
वर्तुलाकार पद्धति से
रिक्तता को पूरा करते हुए,
गाय के चारा चबाने में
मैंने देखा है
एक वृत्त को बनते हुए ,
कुत्ता जब मुँह खोलता है
मैंने देखा है
उसके मुँह के अंदर
त्रिकोण का बिम्ब बनाते हुए,
हिरण दौड़ते नहीं
प्रश्नवाचक चिन्ह बनाते हैं
चीटियां रेंगती जो
नजर आतीं हैं दरअसल
वह अदृश्य शब्दों के ऊपर
लकीर खींचती जाती हैं,
यकीन मानिये
दिन का उजाला
जो हमें दीखता है
वह सादा पन्ना है
और रात उस पर
लिखी हुई गाढ़ी स्याही।
(अप्रमेय )
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