दिन भर सवाल पूछते हुए
नींद के बरक्स
तुम सो जाते हो
हाथों में कोई टुटा हुआ औजार लिए,
सोते हुए तुम्हारे हाथ में यह औजार
औजार नही कोई शस्त्र सा दीखते हैं ,
जिसे नींद में तुम
शायद इसे कहीं
हम सब से दूर ले जाते हो ,
तुम्हारे तकिये के नीचे से
मुझे मेरे जूते के यह फीते
निकालते वक्त
भय लगता है,
आदमी की सबसे बड़ी खोज
रही होगी आग
पर यह जूता
और उसमे गुथा हुआ यह फीता
आदमी की इस खोज से भी आगे
कही निकल जाने की एक चाल है,
मुझे सम्भालना है
जो तुमने छितरा दिए हैं
यह सब पेंच
यह आदमी के दिमाग से
ढीले हो कर गिरे
कारखानो की इजाद हैं ,
मेरे बच्चे
तुम सो गए
पर मेरा मन
तुम्हारी पलकों को देख कर
उदास है।
(अप्रमेय )
नींद के बरक्स
तुम सो जाते हो
हाथों में कोई टुटा हुआ औजार लिए,
सोते हुए तुम्हारे हाथ में यह औजार
औजार नही कोई शस्त्र सा दीखते हैं ,
जिसे नींद में तुम
शायद इसे कहीं
हम सब से दूर ले जाते हो ,
तुम्हारे तकिये के नीचे से
मुझे मेरे जूते के यह फीते
निकालते वक्त
भय लगता है,
आदमी की सबसे बड़ी खोज
रही होगी आग
पर यह जूता
और उसमे गुथा हुआ यह फीता
आदमी की इस खोज से भी आगे
कही निकल जाने की एक चाल है,
मुझे सम्भालना है
जो तुमने छितरा दिए हैं
यह सब पेंच
यह आदमी के दिमाग से
ढीले हो कर गिरे
कारखानो की इजाद हैं ,
मेरे बच्चे
तुम सो गए
पर मेरा मन
तुम्हारी पलकों को देख कर
उदास है।
(अप्रमेय )
No comments:
Post a Comment