जिंदगी …
क्या तुम एक शाम नहीं हो
खाली कुर्सी
बंद बालकनी
सीढ़ियों पर उतरती-चढ़ती
चाल नहीं हो
जिंदगी …
क्या तुम एक शाम नहीं हो
कॉल बेल सी चिपकी
फ्यूज बल्ब सी लटकी
छत पर अरगनी पे सूखती
विश्वास नहीं हो
जिंदगी ...
क्या तुम एक शाम नहीं हो
टूटे पत्ते
भागती टहनिया
बाहर टोटी से झरती
प्यास नहीं हो
जिंदगी …
क्या तुम एक शाम नहीं हो
बुझी अंगीठी
औंधे पड़ी कढ़ाई
डिब्बी में जो है तीली
आग नहीं हो
जिंदगी …
क्या तुम एक शाम नहीं हो।
(अप्रमेय )
क्या तुम एक शाम नहीं हो
खाली कुर्सी
बंद बालकनी
सीढ़ियों पर उतरती-चढ़ती
चाल नहीं हो
जिंदगी …
क्या तुम एक शाम नहीं हो
कॉल बेल सी चिपकी
फ्यूज बल्ब सी लटकी
छत पर अरगनी पे सूखती
विश्वास नहीं हो
जिंदगी ...
क्या तुम एक शाम नहीं हो
टूटे पत्ते
भागती टहनिया
बाहर टोटी से झरती
प्यास नहीं हो
जिंदगी …
क्या तुम एक शाम नहीं हो
बुझी अंगीठी
औंधे पड़ी कढ़ाई
डिब्बी में जो है तीली
आग नहीं हो
जिंदगी …
क्या तुम एक शाम नहीं हो।
(अप्रमेय )
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