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Tuesday, February 18, 2014

मेरा बेटा

मेरा बेटा 
अक्सर मेरे कंधे पर 
बैठना चाहता है 
पूछता हूँ 
तो कहता है 
इस पर बैठ कर मैं 
आसमान के बराबर 
हो जाता हूँ। 
मैं उसे समझाना नही चाहता 
कि बराबरी 
आदमी का सपना है 
और फिर बड़ा या छोटा होना 
जीवन का सत्य। 
मेरा बेटा 
मेरे कंधे पर बैठा है 
वैसे ही जैसे 
सीने पर लिपटी है उदासी 
पीठ पर लदी है तकदीर 
सर पर अटकी सी है बदहवासी 
जीभ पर दुबक गयी है भूख 
और बहुत कुछ 
जिसे मैं उसे नही दिखाना चाहता ,
मैं अपने बेटे को 
जब चाहता हूँ उतार देता हूँ 
अपने कंधे से। 
मेरा बेटा अभी 
मेरे जूतों में अपने 
नन्हे पाँव डाले 
घर में टहल रहा है। 

(अप्रमेय )

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