मेरा बेटा
अक्सर मेरे कंधे पर
बैठना चाहता है
पूछता हूँ
तो कहता है
इस पर बैठ कर मैं
आसमान के बराबर
हो जाता हूँ।
मैं उसे समझाना नही चाहता
कि बराबरी
आदमी का सपना है
और फिर बड़ा या छोटा होना
जीवन का सत्य।
मेरा बेटा
मेरे कंधे पर बैठा है
वैसे ही जैसे
सीने पर लिपटी है उदासी
पीठ पर लदी है तकदीर
सर पर अटकी सी है बदहवासी
जीभ पर दुबक गयी है भूख
और बहुत कुछ
जिसे मैं उसे नही दिखाना चाहता ,
मैं अपने बेटे को
जब चाहता हूँ उतार देता हूँ
अपने कंधे से।
मेरा बेटा अभी
मेरे जूतों में अपने
नन्हे पाँव डाले
घर में टहल रहा है।
(अप्रमेय )
अक्सर मेरे कंधे पर
बैठना चाहता है
पूछता हूँ
तो कहता है
इस पर बैठ कर मैं
आसमान के बराबर
हो जाता हूँ।
मैं उसे समझाना नही चाहता
कि बराबरी
आदमी का सपना है
और फिर बड़ा या छोटा होना
जीवन का सत्य।
मेरा बेटा
मेरे कंधे पर बैठा है
वैसे ही जैसे
सीने पर लिपटी है उदासी
पीठ पर लदी है तकदीर
सर पर अटकी सी है बदहवासी
जीभ पर दुबक गयी है भूख
और बहुत कुछ
जिसे मैं उसे नही दिखाना चाहता ,
मैं अपने बेटे को
जब चाहता हूँ उतार देता हूँ
अपने कंधे से।
मेरा बेटा अभी
मेरे जूतों में अपने
नन्हे पाँव डाले
घर में टहल रहा है।
(अप्रमेय )
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