एक शाम तो मेरे पास बैठ कर तो देख
आँख में आँख जरा डाल कर तो देख |
फिर कभी नजरे चुरा नहीं पायेगा
आवाज दिल की जरा सुन कर तो देख |
ये जो साजिशे शोर किया करती हैं
जरा उनकी बदहाल खामोशियों को तो देख |
इनमे और गर्दों में कोई फ़र्क नहीं
आँख में आँख जरा डाल कर तो देख |
फिर कभी नजरे चुरा नहीं पायेगा
आवाज दिल की जरा सुन कर तो देख |
ये जो साजिशे शोर किया करती हैं
जरा उनकी बदहाल खामोशियों को तो देख |
इनमे और गर्दों में कोई फ़र्क नहीं
दिल में इनके जरा झांक कर तो देख |
(अप्रमेय )
(अप्रमेय )
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