सोहम बानी
Monday, April 14, 2014
हम देखते हैं
धूप निकल आई
हम देखते हैं और थोड़ा गरम हो जाते हैं
,
हवा बहती है
जुल्फ़ सुलझी उलझ जाती है
,
यह देखो नई दुनिया
प्यार करती नही
नुमाइश करती दिख जाती हैं
,
हम झांकते हैं छुप के बाहर
और
अंदर शरमा जाते हैं
|
(
अप्रमेय)
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