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Tuesday, May 20, 2014

महल

महल की दीवारें 
छत को टांगने के लिए ही नहीं 
तुम्हे अन्दर आने के लिए और 
तुम्हारी कल्पना की आँखे को
बंद करने के लिए
खड़ी हैं,
तुम दुनिया के
बेलगाम पर सबसे अनुशाषित
अनूठे घोड़े हो
जो अस्तबल की चौहद्दी से बाहर
अपने हिनहिनाने को
शब्द ब्रह्म समझते हो,
तुमने कैसे मान लिया
यह नाल जो ठुकी है
तुम्हारे खुरों में
यह आविष्कार है सभ्यता का,
आओ तालाश करें और समझे
संबंधों के उभरते तकनीक का
आत्मा की पीठ पर
बिछती कीमती
जीन का I
(
अप्रमेय )

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