पहले-पहल
अनायास ही मिलता है सब कुछ
जैसे हींग
जायफल
लौंग
आलू
और स्वाद...
जैसे आकाश
हवा,धूप, पानी का वरदान ...
जैसे चमड़ा
देखती आँख
साथ चलती किसी देह का साथ
फिर अकस्मात प्यार...
सदियाँ बहुत बाद में
ले आ पातीं हैं
बहीखाते में उनका हिसाब
धीरे-धीरे
शब्द की तिजोरियाँ
ज़ब्त कर देती हैं
उनकी कीमत
उँगलियों के रोज़नामचे का
मंडी-बाजार में नही देता कोई जवाब
फिर पीढ़ियाँ
चुकती जाती हैं बेहिसाब
कोई है...? मैं पूछता हूँ चीख कर
बार
बार
कोई नहीं देखता अनायास
बचे हुए यह लोग
हमेशा बचे रह जाना चाहते हैं
किसी नायाब मसीहा की तलाश में
जो उनको
गणित समझाए गा
कविता के पद सुनाए गा
व्याकरण से
विस्मृत वैतरणी को
पार करवाए गा
अनायास ही मिलता है सब कुछ
जैसे हींग
जायफल
लौंग
आलू
और स्वाद...
जैसे आकाश
हवा,धूप, पानी का वरदान ...
जैसे चमड़ा
देखती आँख
साथ चलती किसी देह का साथ
फिर अकस्मात प्यार...
सदियाँ बहुत बाद में
ले आ पातीं हैं
बहीखाते में उनका हिसाब
धीरे-धीरे
शब्द की तिजोरियाँ
ज़ब्त कर देती हैं
उनकी कीमत
उँगलियों के रोज़नामचे का
मंडी-बाजार में नही देता कोई जवाब
फिर पीढ़ियाँ
चुकती जाती हैं बेहिसाब
कोई है...? मैं पूछता हूँ चीख कर
बार
बार
कोई नहीं देखता अनायास
बचे हुए यह लोग
हमेशा बचे रह जाना चाहते हैं
किसी नायाब मसीहा की तलाश में
जो उनको
गणित समझाए गा
कविता के पद सुनाए गा
व्याकरण से
विस्मृत वैतरणी को
पार करवाए गा
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